Q. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवो में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विशन क्यों पर्याप्त नहीं है?
उत्तर- हमारे जैसे बहू कोशिकीय जीवो में सभी कोशिकाएं अपने आसपास के पर्यावरण के सीधे संपर्क में नहीं रहती है इसलिए साधारण विश्रण बहुकोशिकीय जीवो में ऑक्सीजन का आवश्यकता पूरी करने में अपर्याप्त है
Q. कोई वस्तु सजीव है इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे?
उत्तर- कोई वस्तु सजीव है इसका निर्धारण करने के लिए हम सजीव के लक्षण मापदंड का प्रयोग करेंगे अर्थात हम देखने देखेंगे कि उसमें गति हो रही है या नहीं वृद्धि हो रही है या नहीं स्वसन क्रिया हो रही है या नहीं
Q. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर-किसी जीव द्वारा कार्बन तथा ऑक्सीजन का उपयोग कच्ची सामग्री के रूप में किया जाता है
Q. जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रकरणों का आवश्यक मानेंगे?
उत्तर- जीवन के अनुरक्षण के लिए हम स्वसन पोषण वह उत्सर्जन जनन इत्यादि प्रकरणों का आवश्यक मानेंगे
Q. स्वपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है?
उत्तर-स्वपोषी पोषण में पर्यावरण से सरल अकार्बनिक पदार्थ से लेकर तथा ऊर्जा स्रोत जैसे सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके पूछ ऊर्जा वाले जटिल कार्बनिक पदार्थ का संश्लेषण होता है जबकि विषमपोषी पोषण में दूसरे जीवो द्वारा तैयार किए गए गति पदार्थों का अंतर ग्रहण होता है
Q. प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहां से प्राप्त करता है?
उत्तर-पौधे प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कार्बन डाइऑक्साइड को वायु से प्रकाश को सूर्य से जल तथा अन्य खनिज लवणों को मृदा से प्राप्त करते हैं
Q. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?
उत्तर-हमारे आमाशय में उपस्थित हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक अम्लीय माध्यम प्यार करता है जो पेप्सी अनजान की क्रिया में सहायक होता है यह भोजन में उपस्थित कीटाणुओं को भी नष्ट करता है
Q. पाचक एंजाइम का क्या कार्य है?
उत्तर-पाचक एंजाइम प्रोटीन को अमीनो अम्ल कार्बोहाइड्रेट को ब्लू कोष तथा वर्षा को वर्षा और एवं गुरु ग्लिसरोल में परिवर्तित कर देते हैं
Q. बचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए रुद्रांश को कैसे अभी क्लिक किया गया है?
उत्तर-पत्र के आंतरिक स्तर पर अनेक उंगली जैसे प्रवृत्त होते हैं जिन्हें रूम कहते हैं यह शोषण का सदा ही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं बुधवार को कि बहुत ज्यादा होता है जो भोजन को सूचित करने शरीर के प्रत्येक कोशिका तक पहुंचाता है
Q. स्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थानीय जी किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर- जलीय जीव जल में घुली हुई ऑक्सीजन का प्रयोग स्वसन के लिए करते हैं जबकि स्थलीय जीव वायु में उपस्थित ऑक्सीजन का क्योंकि जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की मात्रा से कम है इसलिए जलीय जीवो को श्वसन जीवों के श्वसन दर से अधिक होता है
Q. ग्लूकोज के ऑक्सीकरण के भिन्न-भिन्न जीवो में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पद क्या है?
उत्तर- निम्नलिखित पदों द्वारा ग्लूकोज का वशीकरण करके ऊर्जा प्राप्त करते हैं :-
1.ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में
2.विखंडन ऑक्सीजन की कमी में ग्लूकोस का विखंडन
3.ऑक्सीजन की कमी में विखंडन
Q. मनुष्य में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर-मनुष्य में ऑक्सीजन का परिवहन हमारे रुधिर में उपस्थित वर्णन हिमोग्लोबिन वायु में उपस्थित ऑक्सीजन से बंद जाता है तथा उसे फेफड़े तक ले जाता है यहां से वह सभी कोशिकाओं को पहुंचा दी जाती है मनुष्यों में कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कार्बन डाइऑक्साइड गैस जल में घुलनशील होने के कारण रुधिर में भूल जाती है तथा स्वसन द्वारा बाहर निकल जाती है
Q. गैसों के विनिमय के लिए मानव उसमें अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अधिकृत किया है?
उत्तर-मानव पुरुष गुब्बारे जैसे रचनाएं लिए जाते हैं जिन्हें एसबीआई कहते हैं गुब्बारे जैसे यह संरचना शोषण के लिए आवश्यक गैसों की मात्रा व अन्य आवश्यकताओं के अनुसार फैल एवं सिकुड़ शक्ति है
Q. मानव में वाहन तंत्र के घटक कौन से हैं इन घटनाओं के कार्य क्या है?
उत्तर- मानव में वाहन तंत्र के घटक व उनके कार्य निम्न रुधिर खनिजों स्वसन गैसों पदार्थों हार्मोन जल अकार्बनिक पदार्थ तथा अन्य रसायनों का वाहन करता है रुधिर वाहिकाएं हृदय से रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचा जाती है जबकि शिराएं विभिन्न भागों में रुधिर के जातक वापस लाती है अफरीदी एक पंप की तरह प्रत्यक्षण रुधिर को हमारे शरीर में पंप करता रहता है लसीका पचे हुए तथा अवशोषित वसा का वाहन लसीका द्वारा होता है तथा या अतिरिक्त सरल को बाहिया कोशिकाओं काश में वापस रुधिर में ले जाता है
Q. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजन तथा ब्लॉक से जनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजन तथा वी ऑक्सीजन इस रुधिर को अलग करना आवश्यक है क्योंकि इस तरह का बंटवारा शरीर को उच्च शिक्षा तू पूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति करता है स्तनधारी तथा पक्षियों को अपने शरीर का ताप नियंत्रित करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो ऑक्सीजन की अधिक मात्रा से ही प्राप्त होती है
Q.उच्च संगठित पादप में वाहन तंत्र के घटक क्या है?
उत्तर-उच्च संगठित पादप में वाहन तंत्र के घटक जाइलम तथा फ्लोएम है
Q. पादप में जल और खनिज लवण का बहन कैसे होता है?
उत्तर-पादप में जल और खनिज लवण का वाहन जाइलम द्वारा होता है
Q. पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?
उत्तर-पादप में भोजन का स्थानांतरण फ्लोएम द्वारा होता है
Q.मानव में वहन तंत्र के घटक कौन से हैं ? इन घटकों के क्या कार्य हैं ?
उत्तर- मानव में वहन तंत्र के घटक व उनके कार्य निम्नवत् हैं :-
1. रुधिर रुधिर खनिजों , श्वसन गैसों ( CO2 व 02 ) , व्यर्ज पदार्थों , हॉर्मोन्स , जल , अकार्बनिक पदार्थों तथा अन्य रसायनों का वहन करता है ।
2. रूधिर वाहिकाएँ ( धमनी तथा शिराएँ ) धमनी हृदय से रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाती हैं जबकि शिराएँ विभिन्न भागों से रुधिर एकत्र करके हृदय तक वापस लाती हैं । 3. हृदय हृदय एक पंप की तरह प्रत्येक क्षण रुधिर को हमारे शरीर में पंप करता रहता है ।
4. लसीका पचे हुए तथा क्षुद्रांत्र द्वारा अवशोषित वसा का वहन लसीका द्वारा होता है तथा यह अतिरिक्त तरल को बाह्य कोशिकीय अवकाश से वापस रुधिर में ले जाता है ।
Q. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना आवश्यक है , क्योंकि इस तरह का बँटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति कराता है । स्तनधारी तथा पक्षियों को अपने शरीर का ताप नियंत्रित करने के लिए उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो उन्हें ऑक्सीजन की अधिक मात्रा से ही प्राप्त होती है ।
Q. उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं ?
उत्तर- उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक जाइलम तथा फ्लोएम हैं ।
Q. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है ?
उत्तर- पादप में जल और खनिज लवण का वहन जाइलम द्वारा होता
Q. पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता ?
उत्तर- पादप में भोजन का स्थानांतरण फ्लोएम द्वारा होता है ।
Q. वृक्काणु ( नेफ्रॉन ) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- वृक्काणु वृक्क की कार्यात्मक इकाई होते हैं । प्रत्येक वृक्काणु रुधिर को छानता है तथा मूत्र का निर्माण करता है । वृक्काणु के निम्नलिखित भाग होते हैं:-
1.एक बोमैन संपुट ग्लोमेरूलस के साथ ।
2.एक लम्बी नलिका ।
वृक्काणु के कार्य निम्नवत् हैं –
1.रुधिर रिनल धमनी में बहुत उच्च दाब पर बहता है जिससे ग्लोमेरूलस की पतली दीवारों से रुधिर छनता रहता है ।
2.रुधिर कोशिकाएँ और प्रोटीन केशिकाओं में ही रहती हैं जबकि जल की अधिकांश मात्रा और घुले हुए खनिज बोमैन संपुट द्वारा छान दिये जाते हैं ।
3.इस निस्पंद में वर्ण्य पदार्थ जैसे यूरिया के साथ – साथ लाभदायक पदार्थ जैसे ग्लूकोज़ आदि उपस्थित रहते हैं ।
4.इनके अतिरिक्त जल की अतिरिक्त मात्रा जो शरीर के लिए उपयोगी नहीं होती वह भी होता है ।
5.जब यह निस्पंद नलिका में आता है तो लाभदायक पदार्थों , जैसे- ग्लूकोज़ अमीनो अम्ल , जल का पुनः नलिका में उपस्थित केशिकाओं द्वारा अवशोषण होता है ।
6. उन वर्ण्य पदार्थों का भी छनन इन केशिकाओं द्वारा होता है जो शेष रह जाते हैं ।
7. अन्त में निस्यद में केवल यूरिया , अन्य वर्ण्य पदार्थ तथा जल ही रह जाता है जिसे अब मूत्र कहा जाता है । यह संग्राहक में एकत्रित होता रहता है ।
Q. उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं ?
उत्तर- उत्सर्जी उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए पादप प्रकाश संश्लेषण , वाष्पोत्सर्जन , उन पत्तियों को गिराना जिनमें वर्ण्य पदार्थ एकत्र रहते हैं , आदि क्रियाएँ करते हैं । इनके अतिरिक्त वे वर्ण्य पदार्थों को रेजिन तथा गोंद के रूप में एकत्रित करते हैं तथा कुछ वर्ण्य पदार्थों को अपने आस – पास की मृदा में उत्सर्जित भी करते हैं ।
Q. मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है ?
उत्तर- मूत्र बनने की मात्रा का नियमन पुनरवशोषण क्रिया द्वारा होता है । मूत्र में जल की मात्रा शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा पर तथा कितना विलेय वयं उत्सर्जित करना है पर निर्भर करता है ।
Q. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है ? यह प्रक्रम कहाँ होता है ?
उत्तर- वसा हमारी आँत में बड़ी – बड़ी गुलिकाओं के रूप में उपस्थित होता है जिसके कारण एंजाइम इसे विखंडित कर पाने में असमर्थ होते हैं । पित्त रस इन बड़ी गुलिकाओं को छोटे – छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है जिससे एंजाइम इनसे क्रिया कर सकें । अग्न्याशय से लाइपेज नामक एंजाइम स्रावित होता है जो वसा का पाचन करने में सहायक होता है । वसा के पाचन की यह सम्पूर्ण प्रक्रिया क्षुद्रांत्र में होती है ।
Q. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है ?
उत्तर- भोजन के पाचन में लार की निम्नलिखित भूमिका है:-
1. लार में एक एंजाइम होता है जिसे सलाइवरी एमाइलेज कहते यह एंजाइम मंड को विखंडित करके शर्करा में बदल देता है ।
2. लार भोजन को चिकना बना देता है जिससे इसे चबाने तथा सटकने में आसानी होती है ।
Q. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियों कौन – सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं ?
उत्तर- स्वपोषी पोषण के लिए सूर्य का प्रकाश , क्लोरोफिल , कार्बन डाइऑक्साइड , जल आदि परिस्थितियों का होना आवश्यक है । इसके उपोत्पाद ऑक्सीजन , हाइड्रोजन तथा कार्बोहाइड्रेट होते हैं ।
Q. वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है ?
उत्तर- कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है ।
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में अन्तर:-
वायवीय श्वसन:- 1. वायवीय श्वसन ऑक्सीजन की उपस्थिति अवायवीय में होता है तथा इसमें ऑक्सीजन उपभुक्त में होता है ।
2. इसमें ग्लूकोज का पूर्ण विखंडन होता है ।
3. इसमें CO2 गैस तथा जल अन्तिम उत्पाद होता है ।
4. इसमें उच्च मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है ।
5. यह माइटोकॉन्ड्रिया तथा साइटोप्लाज्म में यह केवल साइटोप्लाज्म में होता है ।
6. इसमें 38 ATP अणु मुक्त होते हैं ।
अवायवीय श्वसन:- 1. अवायवीय ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है ।
2. इसमें ग्लूकोज का पूर्ण विखंडन नहीं होता अन्तिम है ।
3. इसमें एथेनॉल तथा लैक्टिक अम्ल होते हैं
4.इसमें कम मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है । होता है ।
5. इसमें केवल 2 ATP अणु मुक्त होते हैं ।
अवायवीय श्वसन क्रिया यीस्ट आदि कवक तथा अनेक जीवाणुओं में होती है । मांसपेशियों में ऑक्सीजन अभाव में लैक्टिक अम्ल बनता है ।
Q. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं ?
उत्तर-1. कूपिकाएँ महीन दीवारों तथा असंख्य रुधिर केशिकाओं वाली रचना हैं जिनके कारण रुधिर तथा कूपिका में भरी वायु के बीच गैसों का आदान – प्रदान सरलता से हो जाता है । 2. कूपिकाओं की संरचना गुब्बारे की तरह होती है जो आवश्यकतानुसार गैसों का आदान – प्रदान करने के लिए फैल तथा पिचक सकती हैं ।
Q. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर- हीमोग्लोबिन की कमी होने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है क्योंकि हीमोग्लोबिन ही ऑक्सीजन का वहन करता है ।
Q. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए । यह क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- मनुष्य सहित समस्त स्तनधारियों में दोहरा परिसंचरण पाया जाता है । प्रथम परिसंचरण तो हृदय और फुफ्फुस के मध्य पाया जाता है जिसे पल्मोनरी परिसंचरण कहते हैं तथा द्वितीय परिसंचरण हृदय और शरीर के अन्य भागों के मध्य पाया जाता है , जिसे सिस्टेमिक परिसंचरण कहते हैं । यह इसलिए आवश्यक है जिससे शुद्ध अशुद्ध रुधिर मिश्रित न हो सकें।