Q. मस्तिष्क का कौन – सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है
उत्तर- मस्तिष्क का अनुमस्तिष्क तथा सन्तुलन का अनुरक्षण करता है ।
Q. एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं ?
उत्तर-हम एक अगरबत्ती की गंध का पता पश्चमस्तिष्क द्वारा नियन्त्रित ज्ञानेन्द्रियों पर स्थित गंधीय संवेदांगों द्वारा लगाते
Q. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है ?
उत्तर-प्रतिवर्ती क्रिया किसी क्रिया विपरीत त्वरित गति से स्वयं होने वाली क्रिया है । इसमें हमें कुछ सोचने – समझने की आवश्यकता नहीं पड़ती है । प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है । ये क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती हैं तथा इसके पश्चात सूचनाएँ मस्तिष्क को भेजी जाती हैं ।
Q. पादप हॉर्मोन क्या हैं?
उत्तर-बहुत – से रसायन पौधों की वृद्धि में सहायता प्रदान करते हैं , ये रसायन ही हॉर्मोन कहलाते हैं । इन्हें फाइटोहॉर्मोन भी कहते हैं । उदाहरणार्थ : ऑक्सिन जिबरेलिन , साइटोकाइनिन आदि ।
Q. छुई – मुई पादप की पत्तियों की गति , प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-छुई – मुई पादप की पत्तियों की गति दिशिक नहीं होती है अर्थात यह किसी भी दिशा में हो सकती है जबकि प्रकाश प्ररोह की गति प्रकाशानुवर्ती होती है अर्थात् यह प्रकाश स्रोत की दिशा की ओर होती है ।
Q. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है ।
उत्तर-ऑक्सिन हॉर्मोन पादपों की वृद्धि को बढ़ाता है ।
Q. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है ?
उत्तर-जंतुओं में रासायनिक समन्वय अन्तःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित हॉर्मोनों के द्वारा होता है ।
Q. आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है
उत्तर-आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि इसमें आयोडीन होता है जो थायरॉइड ग्रंथि द्वारा थायरॉक्सिन हॉर्मोन का निर्माण करने के लिए आवश्यक होता है । थायरॉक्सिन हॉर्मोन कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन तथा वसा का उपापचयन करता है । इसकी कमी से घेघा रोग हो जाता है ।
Q. जब एडीनलीन रुधिर में स्रावित होता है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है ?
उत्तर-जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होता है तो हमारा हृदय मांसपेशियों को अधिक 02 की पूर्ति करने हेत तेजी से धडकने लगता है । पाचन तंत्र तथा त्वचा को जाने वाले रुधिर की मात्रा कम हो जाती है और श्वसन दर बढ़ जाती है । ये सभी अनुक्रियाएँ एकसाथ मिलकर जंतु शरीर को स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं ।
Q. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है ?
उत्तर– मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर इसलिए की जाती है क्योंकि यह एक प्रमुख हॉर्मोन है जिसका निर्माण अग्न्याशय में होता है । यह हॉर्मोन रुधिर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है । यदि इंसुलिन का स्रावण हमारे शरीर में उचित मात्रा में नहीं होगा तो हमारे रुधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाएगा जिसके कारण अनेक रोग जन्म ले लेंगे ।
Q. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों । क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं ?
उत्तर-हमारे शरीर में उपस्थित ग्राही वातावरण से सूचनाओं को एकत्रित करते हैं तथा तंत्रिका कोशिका के शीर्ष पर पहुँचाते हैं , जहाँ से इन्हें पहचाना जाता है । ये ग्राही हमारी ज्ञानेन्द्रियों में उपस्थित होते हैं । यदि हम अपना भोजन करते समय अपनी नाक को बंद कर देते हैं तो हम भोजन के स्वाद की पहचान नहीं कर पाएंगे । इस प्रकार यदि हमारे शरीर में उपस्थित ग्राही या ज्ञानेन्द्री अपना कार्य सुचारु रूप से नहीं करेंगे तो हम अपने वातावरण की घटनाओं का ज्ञान नहीं वृक्षिकान्त कर पाएँगे ।
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Q. एक तंत्रिका कोशिका ( न्यूरॉन ) की वृक्षिका – संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का तन्त्रिकाक्ष – वर्णन कीजिए
उत्तर- कार्य कोई भी सूचना तंत्रिका कोशिका के मायलिन आच्छदद्रुमाकृतिक सिरे द्वारा उपार्जित की जाती है और एक रासायनिक क्रिया द्वारा यह एक विद्युत आवेग पैदा करती है । यह आवेग द्रुमिका से कोशिकाकाय तक जाता है और तब तंत्रिकाक्ष ( एक्सॉन ) में होता हुआ इसके अन्तिम सिरे तक पहुँच जाता है । एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन करता है । ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स ( सिनेप्टिक दरार ) को पार करते हैं तथा अगली तंत्रिका कोशिका की दुमिका में इसी तरह का विद्यत आवेग प्रारंभ करते हैं । यही हमारे शरीर में तंत्रिका आवेग युग्मानुबन्ध की मात्रा की सामान्य योजना है जो तंत्रिका कोशिका का वृद्धि प्रमुख कार्य है ।
Q. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है ?
उत्तर- यदि किसी विशेष दिशा से आता हुआ प्रकाशानुवर्तन पादपों द्वारा प्रकाश के प्रति की जाने प्रकाश किसी पादप पर पड़ता है तो पादप का प्ररोह प्रकाश स्रोत की ओर तथा जड़ें प्रकाश स्रोत की विपरीत दिशा में मुड जाती हैं । इसलिए प्ररोह को हम धनात्मक प्रकाशानुवर्ती तथा जड़ को ऋणात्मक प्रकाशानुवर्ती कहते हैं ।
Q. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा ?
उत्तर- मेरुरज्जु आघात में प्रतिवर्ती क्रिया अथवा मस्तिष्क तक आने वाली सूचनाओं का आवागमन बाधित हो जाएगा ।
Q. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?
उत्तर- पादपों में जंतुओं के समान तंत्रिका तंत्र नहीं होता है तथापि वे बाह्य उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया तथा वृद्धि ; जैसे – मुड़ना , घूमना , चक्राकार होना आदि दर्शाते हैं । उनकी वृद्धि तथा विकास बाह्य कारकों एवं उनके द्वारा निर्मित कुछ विशेष रसायनों , जिन्हें पादप हॉर्मोन कहते हैं , के द्वारा नियन्त्रित होती है । ये ही पादप हॉर्मोन पादपों की कोशिकाओं एवं ऊतकों में समन्वय स्थापित करते हैं ।
Q. . एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर- एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है – बाह्य उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया हेतु जीव की उचित वृद्धि एवं विकास हेतु जीवित रहने हेतु तंत्रिका तंत्र में संचार हेतु जीव और वातावरण के मध्य अन्तक्रिया हेतु ।
Q. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक – दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर- प्रतिवर्ती क्रियाएँ तीव्र गति से स्वयं होने वाली अनुक्रियाएँ हैं जो विशेष स्थिति में होती हैं जबकि अनैच्छिक क्रियाएँ बिना हमारी इच्छा या सोच के परन्तु लगातार होने वाली क्रियाएँ हैं । उदाहरणार्थ : हृदय स्पंदन , रुधिर प्रवाह आदि अनैच्छिक क्रियाएँ हैं जबकि जल जाने पर हाथ का स्वयं पीछे हटना प्रतिवर्ती क्रिया है ।
Q. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक ( contrast ) कीजिए ।
उत्तर- सभी जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि पायी जाती हैं । ये क्रियाविधियाँ केवल समन्वय का ही कार्य नहीं करतीं बल्कि बाह्य उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया भी करती हैं । तंत्रिका तंत्र द्वारा कार्य बड़ी तीव्रता के साथ किया जाता है परन्तु हॉर्मोनल क्रियाविधि में कार्य धीमी गति से होता है । उपर्युक्त दोनों क्रियाविधियों के कार्यों में निम्नलिखित समानताएँ हैं – ये दोनों ही शरीर के विभिन्न कार्यों के नियंत्रण एवं समन्वय में सहायक हैं । ये दोनों ही शरीर तथा बाह्य वातावरण से संबंध स्थापित करती हैं ।
Q. छुई – मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है ?
उत्तर- छुई – मुई पादप में गति अदैशिक तथा छुने से होती है जबकि हमारी टाँग में होने वाली गति ऐच्छिक होती है ।