Q. यदि एक ‘ लक्षण – A ‘ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘ लक्षण – B ‘ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है , तो कौन – सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा ?
उत्तर – लक्षण- B पहले उत्पन्न हुआ होगा ; क्योंकि पीढ़ी – दर – पीढ़ी अनुकूलनता के कारण लक्षण का प्रतिशत बढ़ता जाता है ।
Q. विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है ?
उत्तर – किसी प्रजाति में वातावरणीय कारकों के प्रभाव से उत्पन्न विभिन्नताएँ उसे विपरीत परिस्थितियों में जीवित रखने में सहायक होती हैं । विभिन्नताएँ जैव विकास का आधार हैं ।
Q. मेण्डल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ? या शुद्ध लम्बे तथा शुद्ध बौने पौधों के बीच एकसंकर संकरण का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – मेण्डल ने दो विकल्पी मटर के पौधे चुने जैसे लंबे जो कि लंबे मटर के पौधे ही पैदा करते थे तथा बौने जो कि बौने मटर के पौधे ही उत्पन्न करते थे । मेण्डल ने इन दोनों पौधों का संकरण कराया , तो प्रथम संतति पीढ़ी ( F1 ) ) में सभी मटर के पौधे लंबे उगे । इसका अर्थ यह है कि लंबाई का लक्षण ही F1 पीढ़ी संतति में दिखाई दिया और बौनेपन लक्षण प्रदर्शित नहीं हुआ । जब मेण्डल ने | पीढी के पौधों में स्वपरागण कराया तो F2 पीढी में दोनों लक्षण दिखे अर्थात् लंबे पौधे भी और बौने भी ( 31 अनुपात में ) । इसका अर्थ हुआ कि लंबे होने का लक्षण प्रभावी और बौनेपन का लक्षण अप्रभावी है । यह इंगित करता है कि F1 पौधों द्वारा लंबाई एवं बौनेपन दोनों के विकल्पी लक्षणों की वंशानुगति हुई । 1 पीढ़ी में लंबाई वाला विकल्प अपने आपको व्यक्त कर पाया क्योंकि वह प्रभावी विकल्प है और बौनापन अप्रभावी विकल्प है ।
Q. मेण्डल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं ?
उत्तर – मेण्डल ने दो विकल्पी जोड़ों गोल बीज वाले लंबे पौधों तथा झुर्शीदार बीज वाले बौने पौधों का संकरण कराया तो F1 पीढ़ी में सभी पौधे लंबे एवं गोल बीज वाले थे । अतः लंबाई तथा गोल बीज प्रभावी लक्षण हैं । F1 पीढ़ी के पौधों का स्वपरागण कराने पर चार प्रकार के पौधे पाए गए –
( i ) गोल बीज वाले लंबे पौधे 9
( ii ) गोल बीज वाले बौने पौधे 3
( iii ) झुर्रीदार बीज वाले लंबे पौधे 3
( iv ) झुर्रीदार बीज वाले बौने पौधे अनुपात 1
F2 पीढ़ी की संतति : में झुरींदार बीज वाले लंबे पौधे तथा गोल बीज वाले बौने पौधे नए संयोजन प्रदर्शित करते हैं , इससे सिद्ध होता है कि विभिन्न विकल्पी लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं ।
Q. एक ‘ A- रुधिर वर्ग ‘ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘ O ‘ है , से विवाह करता है । उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग – ‘ 0 ‘ है । क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन – सा विकल्प लक्षण – रुधिर वर्ग ‘ A ‘ अथवा ‘ O ‘ प्रभावी लक्षण है ? का स्पष्टीकरण दीजिए ।
उत्तर – यह सूचना पर्याप्त नहीं है । इसमें माता – पिता के इस लक्षण का जीनोम भी देना चाहिए । क्योंकि इस सूचना से यह नहीं पता चलता कि पिता में इस लक्षण के IA IA जीन हैं अथवा IA IO जीन हैं । पूर्वज्ञान के आधार पर हम कह सकते हैं कि IA IO लक्षण प्रभावी है और पिता में IA IO का जोड़ा होगा एवं माता में IA IO विकल्प होंगे तथा पुत्री में 10 10 जीन का जोड़ा होगा ।
Q. मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर – लिंग गुणसूत्र लिंग – निर्धारण का कार्य करते हैं-
1.महिलाओं में दोनों लिंग गुणसूत्र एक ही प्रकार युग्मक के होते हैं- X और X( XX ) ।
2.पुरुषों में दोनों लिंग गुणसूत्र भिन्न – भिन्न होते हैं- X और Y ( XY ) ।
3.पुरुष दो प्रकार के शुक्राणु बराबर मात्रा में उत्पन्न करते हैं ।
4.एक प्रकार के शुक्राणुओं में X गुणसूत्र होता है जबकि दूसरे प्रकार के शुक्राणु y गुणसूत्र रखते हैं ।
5.महिलाएँ एक ही प्रकार के अंडाणु उत्पन्न करती हैं जिसमें x गुणसूत्र होते हैं ।
6.जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडे को निषेचित करता है तो ( XX ) युग्मनज लड़की में विकसित होता है ।
7.जब Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडे को निषेचित करता है तो ( XY ) युग्मनज लड़के में विकसित होता है ।
Q. वे कौन – से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है ?
उत्तर – एक विशेष लक्षण वाले वयष्टि जीवों की संख्या समष्टि में निम्नलिखित कारणों से बढ़ सकती है –
1. जनन के दौरान विभिन्नता का उद्भव जो कि पर्यावरण के अनुकूल हो और इस विभिन्नता का वंशागत होना । उदाहरण के लिए , लाल भंग की समष्टि में हरे रंग के भंगों का उत्पन्न होना । कौए हरे रंग के भंग हरी पत्तियों के बीच पहचान नहीं पाते और लाल रंग के भुंग को शिकार बनाते हैं । जिससे लाल रंग के भृग की संख्या समष्टि में कम होती जाती है और हरे रंग के भंग की संख्या समष्टि में बढ़ती जाती है । यह एक प्राकृतिक चयन था जो कि कौओं के द्वारा सम्पन्न हुआ
2.आकस्मिक दुर्घटनाओं के कारण उदाहरण के लिए , भृग समष्टि में लाल भुंग नीले भंग की अपेक्षा संख्या में अधिक थे । परन्तु संयोग से एक हाथी ने उन झाड़ियों को कुचल डाला जिनमें भृग रहते थे । इसमें लाल रंग के भंग रौंद दिए गए पर कुछ नीले शृंग बच गए । धीरे – धीरे नीले रंग के भंगों की संख्या प्रजनन द्वारा बढ़ती जाती है । जिससे समष्टि का रूप बदल जाता है । यह मात्र संयोग था कि एक दुर्घटना के कारण एक रंग की भृग समष्टि बच गई ।
Q. क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर – भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता । क्योंकि अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति में परस्पर बहुत कम अंतर होता है , समानताएँ बहुत अधिक होती हैं । जो थोड़ी – बहुत विविधता होती है वह DNA प्रतिकृति के समय न्यून त्रुटियों के कारण होती है । ये नई विभिन्नताएँ इतनी प्रमुख नहीं होती जिससे कि किसी नई जाति का उद्भव हो सके ।
Q. उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं ?
उत्तर – समजात अभिलक्षण से भिन्न दिखाई देने वाली विभिन्न स्पीशीज़ के बीच विकासीय सम्बन्ध की पहचान करने में सहायता मिलती है । उदाहरण के लिए , मेंढक , छिपकली , पक्षी तथा मनुष्य के अग्रपादों की आधारभूत संरचना एकसमान है । यद्यपि ये विभिन्न कशेरुकों में भिन्न – भिन्न कार्य करने के लिए रूपान्तरित हैं । ये समजात अंग समान पूर्वज की ओर इशारा करते हैं ।
Q. क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर – तितली और चमगादड़ के पंख समजात अंग नहीं होते । ये समरूप अंग हैं जो उड़ने का कार्य करते हैं । कारण तितली के पंखों की संरचना चमगादड़ के पंख से बिल्कुल भिन्न होती है ।
Q. जीवाश्म क्या हैं ? वे जैव – विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर – लाखों अथवा हजारों साल पहले पाए जाने वाले जीवों के परिरक्षित कठोर अवशेष , चट्टानों पर पैरों के निशान , मिट्टी में बने मृत जीवों के साँचे आदि को जीवाश्म कहते हैं । जीवाश्म हमें जैव विकास के बारे में निम्नलिखित बातें दर्शाते हैं-
1. ऐसी कौन – सी स्पीशीज़ हैं जो कभी जीवित थीं परन्तु अब लुप्त हो गई हैं ।
2. ऐसे जीवों के अवशेष जीवाश्म के रूप में मिले हैं जोकि एक वर्ग के जीवों का उनसे विकसित उच्च वर्ग के बीच की कड़ी के जीवों का स्वरूप बताते हैं ।
उदाहरण के लिए , आर्कीऑप्टैरिक्स जीवाश्म में कुछ लक्षण सरीसृप के हैं तो अन्य लक्षण पक्षियों के यह इंगित करता है कि पक्षी सरीसृप से विकसित हुए
3. जीवाश्म पृथ्वी के अंदर विभिन्न स्तर पर खुदाई करके निकाले जाते हैं । इससे पता चलता है कि पृथ्वी की सतह के निकट पाए जाने वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गए जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं ।
Q. क्या कारण है कि आकृति , आकार , रंग – रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज़ के सदस्य हैं ?
उत्तर – आकृति , आकार , रंग – रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज़ ( होमो सैपिएन्स ) के सदस्य हैं ।
1. यह बात उत्खनन , समय निर्धारण , जीवाश्म अध्ययन तथा डी ० एन ० ए ० अनुक्रम के निर्धारण द्वारा सिद्ध होती है । हम सभी का उद्भव अफ्रीका से हुआ । जहाँ से हमारे पूर्वज सारे संसार में फैले और उनमें धीरे – धीरे आकृति , आकार , रंग – रूप की विभिन्नता आती गई । परन्तु उनके डी ० एन ० ए ० में ऐसा कोई परिवर्तन नहीं हुआ जो उनको नई जाति – उद्भव का स्तर दे पाता ।
2. किसी भी स्पीशीज़ के सदस्य किसी अन्य स्पीशीज के सदस्यों के साथ सफल लैंगिक प्रजनन नहीं कर पाते ( गुणसूत्रों की संरचना तथा संख्या में भिन्नता के कारण ) । परन्तु मानव आकृति , आकार , रंग – रूप में इतने भिन्न होते हुए भी परस्पर सफल लैंगिक प्रजनन कर सकते हैं । उनसे उत्पन्न संतति अपनी पीढी बनाए रख सकती है । वे परस्पर रक्त का अनुदान कर सकते हैं । अतः आकृति , आकार , रंग – रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज़ के सदस्य हैं ।
Q. विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु , मकड़ी , मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए
उत्तर – जीवाणु , मछली , मकड़ी तथा चिम्पैंजी में से चिम्पैंजी में शारीरिक अभिकल्प की जटिलता सबसे अधिक है । चिम्पैंजी का शारीरिक डिज़ाइन , विकसित शारीरिक अंग संस्थान , मस्तिष्क का जीवाणु , मकड़ी और मछली अधिक विकसित होना तथा हाथों में अंगूठे का अँगुलियों के विपरीत होना जिससे वे चीजें पकड़ सकें आदि लक्षण उनको बाकी सभी से उत्तम बना देते हैं । हालाँकि विकास की दृष्टि से इसे अतिउत्तम नहीं माना जा सकता । B क्योंकि सरलतम अभिकल्प वाले जीवाणु के समूह विभिन्न पर्यावरण में आज भी पाए जाते हैं । उदाहरण के लिए , जीवाणु आज भी विषम पर्यावरण ; जैसे कि उष्ण झरने , गहरे समुद्र के गर्म स्रोत तथा अन्टार्कटिका की बर्फ में भी पाए जाते हैं । दूसरे शब्दों में यह नहीं कहा जा सकता कि चिम्पैंजी का शारीरिक अभिकल्प अन्य से उत्तम है , वरन् वह जैव विकास शृंखला में उत्पन्न एक और स्पीशीज़ है ।
Q. एक अध्ययन से पता चला कि हलके रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक ( माता – पिता ) की आँखें हलके रंग की होती हैं । इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हलके रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी ?
उत्तर – इस विवरण के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि आँखों के हलके रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी । क्योंकि जनक ( माता – पिता ) दोनों में ही आँखें हलके रंग की हैं । यह हो सकता है कि माता तथा पिता में जीन के दोनों विकल्प अप्रभावी हों । इसलिए आँखों के रंग का दूसरा विकल्प है ही नहीं अतः सन्तान में हलके रंग की आँखें पाई गई । अगर दूसरी संधारणा पर विचार करें कि आँखों का हलके रंग का लक्षण प्रभावी है तो इस अवस्था में कुछ बच्चों की आँखें गहरे रंग की होनी चाहिए । क्योंकि अप्रभावी लक्षण 4 में से 1 बच्चे
( 3 : 1 अनुपात में ) में व्यक्त होना चाहिए ।
Q.जैव विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्र किस प्रकार
उत्तर – जैव – विकास के अध्ययन से पता चलता है कि पहले उत्पन्न जीवों का शरीर बाद में उत्पन्न जीवों के शरीर से सरलतम है । अर्थात् जीवों के शरीर में सरलता से जटिलता की तरफ विकास हुआ है । यही आधार वर्गीकरण का भी है । जीवों को उनके शरीर के डिज़ाइन के आधार पर ही विभिन्न वर्गों में रखा गया है । अत : जैव विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन परस्पर संबंधित है ।
Q.समजात तथा समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर – समजात अंग उन अंगों को जो अलग – अलग स्पीशीज़ के जीवों में अलग – अलग कार्य करते हैं परन्तु आधारभूत संरचना में एकसमान हैं , समजात अंग कहते हैं ।
उदाहरण के लिए , पक्षी के पंख तथा मनुष्य का हाथ दोनों ही रूपान्तरित अग्रपाद हैं । समरूप अंग ऐसे अंग जो अलग – अलग जीवों में एकसमान कार्य करते हैं परन्तु उनकी आधारभूत संरचना समान नहीं होती है , उन्हें समरूप अंग कहते हैं । उदाहरण के लिए , पक्षी के पंख तथा मनुष्य का हाथ दोनों ही रूपान्तरित अग्रपाद हैं । समरूप अंग ऐसे अंग जो अलग – अलग जीवों में एकसमान कार्य करते हैं परन्तु उनकी आधारभूत संरचना समान नहीं होती है , उन्हें समरूप अंग कहते हैं । उदाहरण के लिए , तितली के पंख और कबूतर के पंख दोनों ही उड़ने का कार्य करते , परन्तु कबूतर के पंख में हड्डियाँ होती हैं , तितली के पंख में नहीं होती ।
Q. कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग कत्ता कुतिया ज्ञात करने के उद्देश्य से एक काली खाल ( BB ) x ( bb ) सफ़ेद खाल प्रोजेक्ट बनाइए ।
उत्तर – इसके लिए एक शुद्ध काली खाल वाले कुत्ते ( BB ) तथा एक शुद्ध सफेद खाल वाली F1 संतान पिल्ले कुतिया ( bb ) का चयन किया जाता है । उनका समय पर संकरण कराएँ यदि उनसे उत्पन्न सभी पिल्ले ( कुत्ते के बच्चे ) काली खाल वाले हैं , तो ( Bb ) सभी काली खाल वाले काली खाल का लक्षण प्रभावी है ।
Q. विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है ?
उत्तर – अध्ययन से पता चलता है कि जीवाश्म पुराने जीवों के अवशेष अथवा चिह्न या साँचे होते हैं ।जीवाश्मों के अमक जीव कब पाया जाता था , कब लुप्त हो गया , जीवों के विकास क्रम में पहले जीवों की संरचना कैसी थी और बाद में उसमें क्या – क्या परिवर्तन होते गए ।
Q. किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ? या स्टैनले मिलर के प्रयोग का सचित्र वर्णन कीजिए ।
वैज्ञानिक जे ० बी ० एस ० हाल्डेन ने 1929 ई . में सुझाव दिया कि जीवों की सर्वप्रथम उत्पत्ति उन सर अकार्बनिक अणुओं से ही हुई होगी जो पृथ्वी को उत्पत्ति के समय बने थे ।
स्टेनले मिलर तथा हेराल्ड सी ० यूरे ने 1953 ई . में प्रयोग किए और प्रमाण दिए कि सरल अकार्बनिक अणुओं से कार्बनिक अणु उत्पन्न हो सकते हैं ।
उन्होंने ऐसे वातावरण का निर्माण किया जो सम्भवतः प्राथमिक वातावरण के समान था । जिसमें अमोनिया , मीथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड ( H2S ) गैसें तो थीं परन्तु स्वतन्त्र ऑक्सीजन नहीं थी । पात्र में जल भी था । इस सम्मिश्रण को 100 ° C से कुछ कम ताप पर रखा गया । गैसों के इस मिश्रण में कृत्रिम रूप से समय – समय पर चिंगारियाँ उत्पन्न की गईं ; जैसे किआकाश में तड़ित बिजली उत्पन्न होती है ।
fig.
इस प्रयोग में देखा गया कि 15 % मीथेन का कार्बन उपयोग हुआ और सरले अकार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित हो गया । इन अकार्बनिक यौगिकों में विभिन्न , अमीनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो कि प्रोटीन के अणुओं के निर्माण के लिए आवश्यक हैं । उपर्युक्त प्रमाण के आधार पर हम परिकल्पना कर सकते हैं कि शायद जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ।
Q. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं , व्याख्या कीजिए । यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर – अलैंगिक जनन में जनक एक ही होता है और उसी का डी ० एन ० ए ० संतति में जाता है । अतः संतति में विभिन्नता तभी आती है जब डी ० एन ० ए ० प्रतिकृति में त्रुटियाँ हों जो कि न्यून होती हैं । लैंगिक जनन में दो जनक होते हैं जो कि डी ० एन ० ए ० का एक – एक सेट संतति को प्रदान करते हैं । इससे संतति में भिन्न – भिन्न लक्षणों का समावेश होता है और अलैंगिक जनन से लैंगिक जनन में विविधता अपेक्षाकृत अधिक होती है । लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताएँ जीन डी ० एन ० ए ० ) में परिवर्तन के कारण होती हैं । अतः ये स्थिर होती हैं । और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती हैं । प्राकृतिक चयन के कारण वही विभिन्नताएँ प्रगति करती हैं जो कि पर्यावरण वरण के अनुकूल हों । अतः समय काल में मौजूदा पीढ़ी अपने पूर्वजों से इतनी भिन्न हो सकती हैं कि वे उनसे लैंगिक जनन न पाएँ और एक अन्य स्पीशीज़ के रूप में उभरकर आ जाएँ तथा जीवों के विकास में सहायक हों ।
Q. संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है ?
उत्तर – जैसा कि चित्र में दिखाया गया है कि मटर के गोल बीज वाले लंबे पौधों का यदि झुर्रादार बीज वाले बौने पौधों से संकरण कराया जाए तो F2 पीढी में P RRYy लंबे / बौने लक्षण तथा गोल / झुरींदार लक्षण स्वतन्त्र रूप से ( गोल , हरे बीज ) ( झुरींदार , पीले बीज ) वंशानुगत होते हैं । यदि संतति पौधे को जनक पौधे से संपूर्ण जीनों का एक पूर्ण सेट प्राप्त होता है तो चित्र में दिया प्रयोग सफल नहीं हो सकता । क्योंकि दो लक्षण R तथा Y सेट में एक – दूसरे से संलग्न रहेंगे तथा स्वतन्त्र रूप में आहरित नहीं हो सकते । ( गोल , पीले बीज ) वास्तव में जीन सेट केवल एक डी ० एन ० ए ० श्रृंखला के रूप में न होकर , डी ० एन ० ए ० के अलग – अलग स्वतन्त्र अणु के रूप में होते हैं । इनमें से प्रत्येक एक गुणसूत्र का अनुपात निर्माण करता है । इसलिए प्रत्येक कोशिका में प्रत्येक गुणसूत्र की दो प्रतिकृति होती है । जिनमें से एक उन्हें नर तथा दूसरी मादा जनक से प्राप्त होते हैं । प्रत्येक जनक कोशिका से गुणसूत्र के प्रत्येक जोड़े का केवल एक गुणसूत्र ही एक जनन कोशिका ( युग्मक ) में जाता है । जब दो युग्मकों का संलयन होता है , तो इनसे बने युग्मज में गुणसूत्रों की संख्या पुनः सामान्य हो जाती है । इस प्रकार लैंगिक जनन 556 बीज द्वारा संतति में जनक कोशिकाओं जैसी ही गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है ।
Q. ” केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव ( व्यष्टि ) के लिए उपयोगी होती हैं , समष्टि रखती हैं । क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? क्यों एवं क्यों नहीं ?
उत्तर – इस कथन से हम सहमत हैं ; क्योंकि जो विभिन्नताएँ एकल जीव ( व्यष्टि ) के लिए उपयोगी हैं , वे वर्तमान पर्यावरण के अनुकूल हैं और प्राकृतिक चयन प्रक्रम में वे अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं । इसका अर्थ है कि समय के साथ – साथ इन विभिन्नताओं वाले जीव समष्टि में प्रमुख हो जाएँगे क्योंकि इनकी विभिन्नताएँ ( लक्षण ) परिवर्तित पर्यावरण में जीवित रह सकती हैं । ये जीव प्रकृति में सफल रहेंगे तथा अपनी संतति को सतत बनाए रख सकते हैं ।