Q. बिहार में हुए ‘ छात्र आंदोलन ‘ के प्रमख कारण ?
उत्तर – बेरोजगारी और भ्रष्टाचार एवं खाद्यान्न की कमी और कीमतों में हुई अप्रत्याशित वृद्धि के चलते बिहार में छात्रों ने सरकार के विरुद्ध आंदोलन छेड़ दिया ।
Q. चिपको आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे ?
उत्तर – चिपको आंदोलन के मुख्य उद्देश्यों में जंगल की कटाई पर तथा पेड़ को नहीं काटने , देना था । इस आंदोलन में स्थानीय भूमिहीन वन्य कर्मचारियों के आर्थिक मुद्दा को उठाकर उनके लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी की मांग की गयी । महिलाओं ने इस आंदोलन का दायरा और विस्तृत कर दिया । महिलाओं ने शराबखोरी की लत के विरुद्ध आवाज उठायी अन्य सामाजिक मसले भी इस आंदोलन से जुड़ गए ।
Q. स्वतंत्र राजनीतिक संगठन कौन होता है ?
उत्तर – स्वतंत्र राजनीतिक संगठन वैसा संगठन होता है जो प्रत्यख रूप से राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं होता है । अपितु राजनीतिक दल द्वारा समर्थित होता है जैसे अखिल भारतीय मजदूर संघ , भारतीय किसान यूनियन आदि ।
Q. भारतीय किसान यूनियन की मुख्य मांगें क्या थीं ?
उत्तर – भारतीय किसान यनियन ने गन्ने और गेहूँ के सरकारी खरीद मल्य में बढोत्तरी करने , कृषि से संबंधित उत्पादों के अंतरराज्यीय आवाजाही पर लगी पाबंदियों को समाप्त करने, समुचित दर पर गारंटी युक्त बिजली आपूर्ति करने , किसानों के बकाये कर्ज माफ करने तथा किसानों के लिए पेंशन योजना का प्रावधान करने की मांग की ।
Q. सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे ?
उत्तर – सूचना का अधिकार का मुख्य उद्देश्य लोगों तक समस्त सूचनाओं का आदान – प्रदान होना था जिसमें सरकारी तथा गैरसरकारी प्रश्न शामिल हैं । इसके अन्तर्गत लोगों को यह अधिकार होता है कि सरकार द्वारा बनाए सूचना सेल से हम अपनी समस्त जानकारी मुहैया कर सकें जिसके अन्तर्गत सरकारी दफ्तरों के विभिन्न कामकाज , कार्यविधि , सरकार की नीति , सरकार की भावी योजना इत्यादि इसमें शामिल हैं ।
Q. राजनीतिक दल की परिभाषा दें ।
उत्तर – राजनीतिक दल का अर्थ ऐसे व्यक्तियों के किसी भी समूह से है जो एक समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्य करता है । यदि उस दल का उद्देश्य राजनीतिक कार्य – कलापों से संबंधित होता है तो उसे हम राजनीतिक समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एकजुट होते हैं , जैसे मतदान करना , चुनाव लड़ना , नीतियाँ एवं कार्यक्रम तैयार करना आदि ।
Q. किस आधार काम करता है ?
उत्तर – राजनीतिक दल जनता की समस्याओं और आवश्यकताओं को सरकार के सामने प्रस्तुत सरकार की कल्याणकारी योजना और कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाते हैं इस प्रकार राजनीतिक दल जनता एवं सरकार के बीच कड़ी का काम करता है ।
Q. दल – बदल कानून क्या है ?
उत्तर – दल – बदल कौनून विधायकों और सांसदों के एक दल से दूसरे दल में पलायन को रोकने के लिए संविधान में संशोधन कर कानून बनाया गया है । इसे ही दल – बदल कानून कहते हैं ।
Q. राष्ट्रीय राजनीतिक दल किसे कहते हैं ?
उत्तर – राष्ट्रीय राजनीतिक दल वैसे सामाजिक दल हैं जिनका अस्तित्व पूरे देश में होता है उनके कार्यक्रम एवं नीतियाँ राष्ट्रीय स्तर के होते हैं । इनकी इकाइयाँ राज्य स्तर पर भी
होती है ।
Q. जनसंघर्ष से भी लोकतंत्र मजबूत होता है । क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? अपने पक्ष में उत्तर दें ।
उत्तर –हाँ , मैं इस कथन से सहमत हूँ कि जनसंघर्ष से भी लोकतंत्र मजबूत होता है । अपने इस कथन से सहमति के लिए निम्नलिखित पक्ष या तर्क हैं पूरे विश्व में लोकतंत्र का विकास प्रतिस्पर्धा और जनसंघर्ष के चलते हुआ है । दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जनसंघर्ष के माध्यम से ही लोकतंत्र का विकास हुआ है । लोकतंत्र को मजबूत बनाने करने में जनसंघर्ष की अहम भूमिका होती है । लोकतंत्र जनसंघर्ष के द्वारा विकसित होता है । लोकतंत्र में फैसले आम सहमति से लिए जाते हैं । यदि सरकार फैसले लेने में जनसाधारण के विचारों की अनदेखी करती है तो ऐसे फैसलों के खिलाफ जनसंघर्ष होता है और सरकार पर दबाव बनाकर आम सहमति से फैसले लेने के लिए मजबूर किया जाता है । इससे विकास में आनेवाली बाधाएं लोकतंत्र में संघर्ष होना आम बात होती है । इन संघर्षों का समाधान जनता व्यापक से करती है । कभी – कभी इस तरह के संघर्षों का समाधान संसद या न्यायपालिका जैसी संस्थाओं द्वारा भी होता है । सरकार को हमेशा जनसंघर्ष का खतरा बना रहता है और सरकार तानाशाह होने एवं मनमाना निर्णय लेने से बचती है । जनसंघर्ष से राजनीतिक संगठनों आदि का विकास होता है । राजनीतिक संगठन लोकतंत्र के लिए प्राण होते हैं । यह राजनीतिक संगठन जन भागीदारी के द्वारा समस्याओं को सुलझाने में सहायक होते हैं । वास्तव में उपर्युक्त कथन का अध्ययन करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र जनसंघर्ष से ही मजबूत होता है
Q. किस आधार पर आप कह सकते हैं कि बिहार से शुरू हुआ ‘ छात्र आंदोलन ‘ का स्वरूप राष्ट्रीय हो गया ?
उत्तर – बिहार में ‘ छात्र आंदोलन बेरोजगारी और भ्रष्टाचार एवं खाद्यान्न की कमी और कीमतों में बेतहासा वृद्धि के चलते सरकार के विरुद्ध हुआ । इस आंदोलन का नेतृत्व जय प्रकाश नारायण ने किया इनके आह्वान पर जीवन के हर क्षेत्र से संबंधित लोग आंदोलन में कूद उन्होंने बिहार की कांग्रेस सरकार को बरखास्त करने की मांग कर सामाजिक आहवान किया । जयप्रकाश की सम्पूर्ण क्रांति सरल लोकतंत्र की स्थापना करना था । जयप्रकाश की इच्छा थी कि बिहार का यह आंदोलन अन्य प्रांतों में भी फैले । उसी समय रेलवे कर्मचारी ने भी केन्द्र सरकार के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया । उस हड़ताल का व्यापक प्रभाव पड़ा । जयप्रकाश नारायण 1975 में दिल्ली में आयोजित संसद मार्च का नेतृत्व किया । इससे पहले राजधानी दिल्ली में अब तक इतनी बड़ी रैली कभी नहीं हुई थी । जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में विपक्षी दलों किया । दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल जन प्रदर्शन कर जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी से इस्तीफे की मांग करते हुए राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह की घोषणा की । उन्होंने अपने आह्वान में सेना और पुलिस तथा सरकारी कर्मचारी को भी सरकार का आदेश नहीं मानने के लिए निवेदन गांधी ने इस आंदोलन को अपने विरुद्ध एक षड्यंत्र मानते हुए 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा करते हुए जयप्रकाश नारायण सहित सभी राजनीतिक नेताओं को जेल में डाल दिया । आपातकाल के बाद 1977 की लोकसभा चुनाव के जनता पार्टी ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली और मोरारजी देसाई जनता पार्टी के सरकार में प्रधान मंत्री बने । वास्तव में बिहार का छात्र परिणति 1977 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी की हार और जनता पार्टी की जीत से हुई । अतः हम उपर्युक्त कथनों के आधार पर यह कह सकते हैं कि बिहार से शुरू हुआ ‘ छात्र आंदोलन ‘ का स्वरूप राष्ट्रीय हो गया ।
Q. निम्नलिखित वक्तव्यों को पढ़ें और अपने पक्ष में उत्तर दें
( क ) क्षेत्रीय भावना लोकतंत्र को मजबूत करती है ।
( ख ) दबाव समूह स्थायी का समूह है । इसलिए इसे समाप्त कर देना चाहिए ।
( ग ) जनसंघर्ष लोकतंत्र का विरोधी है ।
( घ ) भारत के लोकतंत्र के लिए हुए आंदोलन में महिलाओं की भूमिका नगण्य है ।
उत्तर – ( क ) क्षेत्रीय भावना उग्र होने पर क्षेत्रवाद की स्थिति पैदा होती है जिससे देश की अखंडता खतरे में पड़ जाती है । अतः क्षेत्रीय भावना कुछ हद तक लोकतंत्र के लिए अभिशाप बन सकती है ।
( ख ) वास्तव में दबाव समूह ऐसे संगठन होते हैं जो सरकार की नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं । अत : यह कहना कि दबावं समूह स्वार्थी तत्वों का समूह है , बिल्कुल ही निराधार है । इसे समाप्त करने का कोई औचित्य नहीं है ।
(ग ) जनसंघर्ष से ही लोकतंत्र का विकास होता है ।लोकतंत्र को मजबूत बनाने एवं इसे और सुदृढ़ करने में जनसंघर्ष की अहम भूमिका होती है । अतः लोकतंत्र जब संघर्ष के द्वारा विकसित होता है यह लोकतंत्र का विरोधी नहीं बल्कि लोकतंत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने का एक माध्यम होता है ।
( घ ) कहना कि लोकतंत्र के लिए हुए आंदोलन में महिलाओं की भूमिका नगण्य है , सरासर गलत है । ज्ञातव्य हो कि चिपको आंदोलन एवं ताड़ी विरोधी आंदोलन में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया बचाव आंदोलन मेधा ने इस आंदोलन को राष्ट्रव्यापी बना दिया । अतः समय – समय पर लोकतंत्र के लिए हुए आंदोलन में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है ।
Q. राजनीतिक दल को लोकतंत्र का प्राण क्यों कहा जाता है ?
उत्तर – किसी भी लोकतंत्र में राजनीतिक दल का होना आवश्यक है । बिना राजनीतिक दल के लोकतंत्र की परिकल्पना लोकतांत्रिक देशों में राजनीतिक दल जीवन का एक अंग बन चुके हैं । इसलिए उन्हें लोकतंत्र का प्राण कहा जाता है । राजनीतिक दल राष्ट्रीय विकास में प्रकार योगदान करते हैं ? उत्तर किसी भी देश का विकास वहाँ के राजनीतिक दलों दृष्टिकोण ज्यादा व्यापक होंगे विकास उतना ही ज्यादा होगा । इसलिए कहा जाता है कि किसी भी देश के राष्ट्रीय विकास में राजनीतिक दलों की मुख्य भूमिका होती है । दरअसल राष्ट्रीय विकास के लिए जनता को जागरूक , समाज एवं राज्य में एकता एवं राजनीतिक स्थायित्व का होना आवश्यक है । इन सभी कार्यों में राजनीतिक दल ही मुख्य भूमिका निभाते हैं । लोकतांत्रिक देशों में साधारणत : यह देखने को मिलता है कि सामान्य नागरिक को जिस कार्य के बदले जितना मिलता है उसी में वह संतुष्ट रहता है । उसे ज्यादा पाने की इच्छा उसमें कम रहती है । इसका मुख्य कारण जनजागरुकता का अभाव रहता है । ऐसी ही नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित करते हैं । राष्ट्रीय विकास के लिए राज्य एवं समाज में एकता स्थापित होना आवश्यक है । इसके लिए राजनीतिक दल एक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में काम करता है । राजनीतिक दलों में विभिन्न जातियों धर्मों वर्गों एवं लिंगों के सदस्य होते हैं । ये सभी अपने अपने जाति , धर्म एवं लिंग का प्रतिनिधित्व भी करते हैं । राजनीतिक दल ही किसी देश में राजनीतिक स्थायित्व ला सकते हैं । इसके लिए आवश्यक है कि राजनीतिक दल सरकार विरोध की जगह उसकी रचनात्मक आलोचना करें । राष्ट्रीय विकास के लिए यह भी आवश्यक है कि शासन निर्णयों में सबकी सहमति और सभी लोगों की इस प्रकार के काम को राजनीतिक दल ही करते हैं । राजनीतिक दल संकट के समय रचनात्मक कार्य भी करते हैं , जैसे प्राकृतिक आपदा के दौरान राहत का कार्य आदि । राष्ट्रीय विकास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की नीतियाँ एवं कार्यक्रम तैयार किये जाते हैं । लोकतांत्रिक विधानमण्डल से पास होना आवश्यक होता है । सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सहयोग से नीतियों एवं कार्यक्रम पास कराने में सहयोग करते हैं । इन्हीं सब बातों के आधार पर हम समझ राजनीतिक दल राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । अतः राष्ट्रीय विकास में राजनीतिक दल बहुत ही व्यापक रूप से योगदान करते हैं ।
Q. राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य बताएँ ।
उत्तर – राजनीतिक दलों के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं दल भाषण ,
1. नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करना राजनीतिक दल जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए नीतियाँ एवं कार्यक्रम तैयार करते हैं । इन्हीं नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर ये चुनाव भी लड़ते हैं । राजनीतिक टेलीविजन , रेडियो , समाचार पत्र आदि के माध्यम से अपनी नीतियाँ एवं कार्यक्रम जनता के सामने रखते हैं और मतदाताओं अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करते हैं । मतदाता भी उसी राजनीतिक दल को अपना समर्थन देते हैं जिसकी नीतियों एवं कार्यक्रम जनता के कल्याण के लिए एवं राष्ट्रीय हित को मजबूत करने वाले होते हैं । को
2. लोकतंत्र का निर्माण – लोकतंत्र में जनता की सहमति या समर्थन से ही सत्ता प्राप्त होती है । इसके लिए शासन की नीतियों पर लोकमत प्राप्त करना होता है और इस तरह के लोकमत निर्माण करने के लिए जनसभाएँ , रैलियों , का निर्माण राजनीतिक दल के द्वारा ही हो सकता है । राजनीतिक दल लोकमत समाचार पत्र , रेडियो , टेलीविजन आदि का सहारा लेते हैं ।
3. राजनीतिक प्रशिक्षण राजनीतिक दल मतदाताओं को राजनीतिक प्रशिक्षण देने का भी काम करता है । राजनीतिक दल खासकर चुनावों के समय अपने समर्थकों को राजनैतिक कार्य , जैसे मतदान करना , चुनाव लड़ना , सरकार की नीतियों की आलोचना करना या समर्थन करना आदि बताते हैं । इसके अलावा , सभी राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक एवं शैक्षिक गतिविधियाँ तेज कर उदासीन मतदाताओं को अपने से जोड़ने का भी काम करते हैं जिससे लोगों में राजनीतिक चेतना की जागृति होती है ।
4. दलीय कार्य प्रत्येक राजनीतिक दल कुछ दल – संबंधी कार्य भी करते हैं , जैसे अधिक से अधिक मतदाताओं को अपने दल का सदस्य बनाना , अपनी नीतियाँ एवं कार्यक्रम का प्रचार – प्रसार करना तथा दल के लिए चंदा इक्कट्ठा करना आदि ।
5. चुनावों का संचालन जिस प्रकार लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में राजनीतिक दलों का होना भी आवश्यक है , उसी प्रकार दलीय व्यवस्था में चुनाव का होना भी आवश्यक है । हमें पहले से यह जानकारी प्राप्त है कि सभी राजनीतिक दल अपनी विचारधाराओं और सिद्धांतों के अनुसार कार्यक्रमों एवं नीतियाँ तय करते हैं । यही कार्य एवं नीतियाँ चुनाव के दौरान जनता के पास रखते हैं जिसे चुनाव घोषणा पत्र कहते हैं । राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को खड़ा करने और कई तरीके से उन्हें चुनाव जिताने का प्रयत्न करते हैं । इसीलिए राजनीतिक दल का एक प्रमुख कार्य चुनाव का संचालन है ।
6. शासन का संचालन राजनीतिक दल चुनावों में बहुमत प्राप्त करके सरकार का निर्माण करते हैं जिस राजनीतिक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता है वे विपक्ष में बैठते हैं जिन्हें विपक्षी दल कहा जाता है । जहाँ एक ओर सत्ता पक्ष शासन का संचालन करता है वहीं विपक्षी दल सरकार पर नियंत्रण रखता है और सरकार को गड़बड़ियाँ करने से रोकता है ।
7. सरकार एवं जनता के बीच मध्यस्थता का कार्य राजनीतिक दल का एक प्रमुख कार्य जनता और सरकार के बीच मध्यस्थता करना । राजनीतिक दल ही जनता की समस्याओं और आवश्यकताओं को सरकार के सामने रखते हैं और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाते हैं । इस तरह राजनीतिक दल सरकार एवं जनता के बीच पुननिर्माण का कार्य करते हैं । कार्य भी करते हैं , जैसे प्राकृतिक
8. गैर राजनीतिक कार्य राजनीतिक दल न केवल राजनैतिक कार्य करते हैं बल्कि गैर – राजनैतिक आपदाओं बाढ़ , सुखाड़ , भूकम्प आदि के दौरान राहत संबंधी कार्य आदि । अतः उपयुक्त प्रमुख कार्य राजनीतिक दलों के लिए आवश्यक हैं । तभी वे लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में अपनी साख बचा सकते हैं ।
Q. राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को मान्यता कौन प्रदान करते हैं और इसके मापदंड क्या हैं ?
उत्तर – राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दल को मान्यता चुनाव आयोग प्रदान करते हैं । राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता प्राप्त करने के लिए राजनीतिक दलों को लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में 4 या अधिक राज्यों द्वारा कुल डाले गए वैध मतों का 6 प्रतिशत प्राप्त करने के साथ किसी राज्य या राज्य से लोकसभा की कम – से – कम 4 सीटों पर विजयी होना आवश्यक है या लोक सभा में कम – से – कम 4 सीटों पर विजयी होना आवश्यक है । या लोकसभा में कम – से – कम 2 प्रतिशत सीटें अर्थात् 11 सीटें जीतना आवश्यक है जो
कम – से – कम तीन राज्यों से होनी चाहिए । इसी तरह राज्य स्तरीय राजनीतिक दल को मान्यता प्राप्त करने के लिए उस दल को लोकसभा या विधान सभा के चुनावों में डाले गएं वैध मतों का कम – से – कम 6 प्रतिशत मत प्राप्त करने के साथ – साथ राज्य विधानसभा की कम – स – कम 3 प्रतिशत सीटें या 3 सीटें जीतना आवश्यक है ।