Q. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता है ?
उत्तर – लोकतंत्र एक उत्तरदायी सरकार का निर्माण करता है क्योंकि
( a ) यह नियमित , स्वतंत्र तथा स्वच्छ तरीके से चुनाव सम्पन्न करता है ।
( b ) इसके प्रमुख सार्वजनिक मुद्दों तथा विधेयकों पर जनता के बीच खुली बहस की गुंजाइश होती है ।
( c ) यह सरकार के स्वयं के बारे में तथा उसकी कार्य – शैली के बारे में जानने के लिए जनता को सूचना का अधिकार प्रदान करता है ।
• लोकतंत्र एक जिम्मेवार सरकार प्रदान करता है क्योंकि इसका निर्माण जनता द्वारा प्रतिनिधि समाज की समस्याओं पर बहस करते हैं तथा तदनुसार नीतियाँ एवं सरकार बनाते हैं । समस्याओं को सुलझाने के लिए इन्हीं नीतियों एवं कार्यक्रमों को लागू किया जाता है । .
• लोकतंत्र एक वैध सरकार का निर्माण करता है क्योंकि यह जनता की सरकार होती है । यह जनता ही होती है जो अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार बनाकर स्वयं के ऊपर शासन करवाती है ।
Q. लोकतंत्र किस प्रकार आर्थिक संवृद्धि एवं विकास में सहायक बनता है ?
उत्तर – लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वैध एवं जनता के प्रति उत्तरदायी होती है । यह व्यवस्था खुशहाली एवं विकास की दृष्टि से भी अग्रणी होगी । किसी देश का आर्थिक विकास उस देश की व्यवस्था , आर्थिक प्राथमिकता , अन्य देशों से सहयोग के साथ – साथ वैश्विक स्थिति पर भी निर्भर करती है । लोकतांत्रिक शासन में विकास दर में कमी के बावजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था का चयन सर्वोत्तम होगा क्योंकि इसके अनेक सकारात्मक एवं विश्वसनीय फायदे हैं जिनका एहसास हमें धीरे – धीरे होता है जो अन्ततः सुखद होता है । इसके अतिरिक्त लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यमों से अपने समस्याओं को सरकार के सामने प्रस्तुत करती है ।
Q. लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विषमताओं को पाटने में मददगार होता है और सामंजस्य के वातावरण का निर्माण करता है ?
उत्तर – किसी लोकतंत्र द्वारा विभिन्न सामाजिक विषमताओं के बीच सामंजस्य के वातावरण के निर्माण के लिए निम्नलिखित स्थितियों का होना अनिवार्य है
• इसका सरल अर्थ यह है कि चुनाव अथवा निर्णय के मामले में विभिन्न व्यक्ति या समूह अलग – अलग समय में बहुमत का निर्माण कर सकते हैं । यदि किसी को उसके जन्म के आधार पर बहुमत में होने से रोका जाता है तो उस व्यक्ति के लिए लोकतांत्रिक शासन सामंजस्य बिठाने वाला नहीं रह जाता है ।
• लोगों को यह समझना होगा कि लोकतंत्र केवल बहुमत का शासन नहीं है । सरकार एक सामान्य दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व कर सके इसके लिए बहुमत को अल्पमत के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है ।
Q. लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक एवं सामाजिक असमानताओं के संदर्भ में किया गया कौन – सा सर्वेक्षण सही और कौन गलत प्रतीत होता है ( लिखें सत्य / असत्य )
( i ) लोकतंत्र ओर विकास साथ – साथ चलते हैं ।
उत्तर – सत्य
( ii ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं ।
उत्तर –असत्य
( iii ) तानाशाही में असमानताएँ नहीं होती ।
उत्तर –असत्य
( iv ) तानाशाही व्यवस्थाएं लोकतंत्र से बेहतर सिद्ध हुई हैं ।
उत्तर – असत्य
Q. भारतीय लोकतंत्र की उपलब्धियों के संबंध में कौन सा कथन सही अथवा गलत है
( i ) आज लोग पहले से कहीं अधिक मताधिकार
उत्तर – सही
( ii ) शासन की दृष्टि से भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था ब्रिटिश काल के शासन से बेहतर नहीं है ।
उत्तर – गलत
( iii ) अभिवचित वर्ग के लोग चुनावों में उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं
उत्तर – गलत
( iv ) राजनीतिक दृष्टि से महिलाएं पहले से अधिक सत्ता में भागीदार बन रही हैं ।
उत्तर – सही
Q. भारतवर्ष में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं ?
उत्तर – भारत में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था पाई जाती है इस शासन व्यवस्था के अन्तर्गत जनता अपने प्रतिनिधियों को चुन कर संसद या विधानसभा में भेजती हैं । वे प्रतिनिधि जनता की समस्या को उठाते हैं और उनकी समस्या का निराकरण सरकार से कराने की कोशिश करते हैं । भारतीय लोकतंत्र का अवलोकन दोनों होती है । हमारी निराशाएं पहले इस रूप में प्रकट होती हैं कि भारत में लोकतंत्र है ही नहीं अथवा भारतः लोकतंत्र के लिए उपयुक्त नहीं है । कभी – कभी तो ऐसी टिप्पणियाँ भी सुनने को मिलती हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था तमाम शासन – व्यवस्थाओं की तुलना में असफल एवं पंगु है । स्वाभाविक है कि लोकतंत्र को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है । अतएव इसकी गति निश्चित तौर पर धीमी होती है । न्याय में विलंब , विकास दर की धीमी कारण ऐसा लगने लगता है कि लोकतंत्र बेहतर नहीं है । राजतंत्र एवं तानाशाही व्यवस्था में इसकी गति तेज तो हो जाती है परंतु उसके व्यापक जन – कल्याण के तत्व एक सिरे से गायब रहते हैं । साथ ही , गुणवत्ता का सर्वथा अभाव दिखता है । इन निराशओं के बावजूद आशा की किरण भी प्रस्फुटित होती है । गैरलोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में आनन – फानन में शीघ्रता से लिये गये निर्णयों के दुष्परिणामों से जब हम मुखातिब होते हैं , तब लगता है कि लोकतंत्र से बेहतर और कोई शासन व्यवस्था हो नहीं सकती है । इसे जब हम भारतीय लोकतंत्र के 60 वर्षों की अवधि के संदर्भ में देखते हैं तो लगता है कि कार्यक्रम में हम काफी सफल रहे हैं । एक समय था जब लोग “ कोई नृप होउ हमें का हानि ” के मुहावरे में बातें करते थे
Q. भारतवर्ष में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है ?
उत्तर – भारत वर्ष में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली पायी जाती है । भारतीय लोकतंत्र की साख पूरी दुनिया में बढ़ी है । परंतु लोकतंत्र उतना परिपक्व नहीं हुआ है । कारण कि जनता का जुड़ाव उस स्तर तक नहीं पहुंचा है जहाँ जनता सीधे तौर पर हस्तक्षेप पर सके । अतएव इसकी सफलता के लिए आवश्यक है कि सर्वप्रथम जनता शिक्षित हो , यह सच्चाई लोकतांत्रिक सरकारें बहुमत के आधार पर बनती हैं , परंतु लोकतंत्र का अर्थ बहुमत की राय से चलने वाली व्यवस्था नहीं है , बल्कि यहाँ अल्पमत की आकांक्षाओं पर ध्यान देना आवश्यक होता है । भारतीय लोकतंत्र की सफलता कि सरकार प्रत्येक नागरिक को यह अवसर अवश्य प्रदान कर ताकि वे किसी – किसी अवसर पर बहुमत का हिस्सा बन सके । लोकतंत्र की सफलता के लिए लोकतांत्रिक संस्थाओं के अन्दर आंतरिक लोकतंत्र हो । अर्थात् सार्वजनिक हो क्योंकि सत्ता की बागडोर संभालना उनका लक्ष्य होता है । इसे हम अपनी सक्रिय भागीदारी एवं लोकतंत्र में अटूट विश्वास से दूर कर सकते हैं । वास्तव में लोकतंत्र के उपर्युक्त तथ्यों का अध्ययन सफल बनाया जा सकता है ।