Class 10th Physics Chapter 5 Subjective Question

Q. चुंबक क्या है ?
उत्तर- वैसे पदार्थ जिसमें लोहा इस्पात को वाइट निकेल गैस जैसे पदार्थ को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण रखते हो चुंबक काहालाता है

Q. चुंबक में कितने ध्रुव होते हैं?
उत्तर- चुंबक में दो जो होते हैं
1. उत्तरी ध्रुव
2.दक्षिणी ध्रुव

Q. चुंबकीय क्षेत्र क्या है ?
उत्तर- कोई चुंबक जितना दूर तक अपना प्रभाव दिखाता है उसके क्षेत्र कोई चुंबकीय क्षेत्र कहा जाता है

Q. चुंबकीय बल रेखाएं क्या है?
उत्तर- यह एक प्रकार का काल्पनिक रेखा है जो कि इलेक्ट्रॉन का बना हुआ माना गया है यह चुंबकीय बल रेखाएं एक बंद वक्र होते हैं जो वह चुंबक के बाहर में उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर चलते हैं तथा चुंबक के अंदर में दक्षिणी ध्रुव से उतरी ध्रुव की ओर चलते हैं यह एक दूसरे को कभी भी प्रतिशत नहीं करते
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Q. विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव क्या है
उत्तर- जब चुंबक पर विद्युत धारा अपना प्रभाव दिखाता है तो हम लोग उसे विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव करते हैं इसके बारे में ऑस्ट्रेड साहब ने 1820 ईसवी में एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने एक चालक ताड़ के नजदीक में एक चुंबकीय सुई को नीचे दिए गए चित्र के अनुसार व्यवस्थित किया
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पहले चित्र में एक दर्शाया गया है कि यह जब परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह नहीं हो रहा है तो चुंबकीय सुई प्रभावित नहीं है लेकिन दूसरे चित्र में जब विद्युत धारा का प्रवाह कराया गया तो चुंबकीय सुई प्रभावित हो जाती है अतः इस प्रयोग से पता चलता है कि विद्युत धारा चुंबक पर प्रभाव डालती है

Q. चुंबक पर विद्युत प्रभाव के सिद्धांत को लिखें ?
उत्तर- जब किसी चालक में विद्युत धारा का प्रवाह कराते हैं तो उसके अगल बगल में चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाते हैं यह चुंबकीय क्षेत्र के पास में रखें चुंबक को प्रभावित करता है इसे ही चुंबक पर विद्युत प्रभाव का सिद्धांत करते हैं

Q. मैक्सवेल का दक्षिण हस्त नियम क्या है ?
उत्तर- मैक्सवेल के दक्षिण हस्त नियम के अनुसार जब किसी चालक तार को दाएं हाथ में मुट्ठी में इस प्रकार पकड़े की अंगूठा धारा की दिशा को संकेत करें तो अन्य उंगलियां चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा को बतलाते हैं

Q.मैक्सवेल के वाम हस्त नियम को लिखें ?
उत्तर- इस नियम के अनुसार जब किसी चालक तार को बाएं हाथ से इस प्रकार से पकड़ते हैं कि अंगूठा विद्युत धारा के दिशा बताते हैं तो अन्य 4 उंगलियां चुंबकीय बल रेखाएं की दिशा को बतलाता है

Q. परिनालिका क्या है ?
उत्तर-  जब किसी का चालक पदार्थ के ऊपर चालक तार की कुंडली है पेटी जाए तो ऐसी व्यवस्था को परिनालिका कहलाता है
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Q. विद्युत चुंबक क्या है ?
उत्तर-  जब परिनालिका के अंदर में गर्म लोहे के क्षण को रखकर विद्युत धारा प्रवाहित कर आते हैं तो वह चुंबक के जैसे कार्यकर्ता है इस प्रकार के चुंबक को ही विद्युत चुंबक कहा जाता है यह अस्थाई चुंबक होता है लेकिन आकर्षण का गुण बहुत ज्यादा होता है जब मैडम लोहे की छड़ के जगह पर इस्पात का प्रयोग किया जाता है तो स्थाई चुंबक होता है

Q. विद्युत चुंबक का प्रयोग को लिखें ?
उत्तर-  1.लोहे के भारी टुकड़ों को उठाने के लिए क्रेन का उपयोग किया जाता है
2. विद्युत घंटी में
3.माइक्रोफोन में
4.टेलीफोन में
5.टेलीविजन में
6.लाउडस्पीकर में

Q. विद्युत चुंबक और स्थाई चुंबक में अंतर लिखें ?
उत्तर- विद्युत चुंबक:- यह अस्थाई चुंबक होता है इसकी शक्ति ज्यादा होती है इसका शक्ति फेरों की संख्या पर निर्भर करता है
स्थाई चुंबक:- स्थाई चुंबक होता है इसकी शक्ति कम होती है इसका शक्ति निश्चित होता है

Q. एंपियर के प्रयोग को लिखें ?
उत्तर-ऑस्ट्रेड साहब ने हम लोगों को बताया कि विद्युत धारा चुंबक पर प्रभाव डालती है अर्थ अर्थ चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है इसका मतलब यह हुआ कि विद्युत धारा चुंबक पर बल लगाती है तो ठीक इसका विपरीत एंपियर ने बताया कि चुंबक भी परिमाण में बराबर लेकिन दिशा में विपरीत बल लगाती है चित्र ऊपर दिए गए चित्र के अनुसार उपकरण को सुधार दिया जाता है
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जब परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो एलुमिनियम की पत्ती आगे की ओर स्थापित होता है इसी प्रयोग को जब चुम्मा घटाकर किया जाता है तो अल्मुनियम के पति में कोई विस्थापन नहीं होता है जब परिपथ में धारा बदल का प्रवाहित कराया जाता है तो एलुमिनियम का पति और पीछे की ओर विस्थापित होती है इस प्रयोग को भी चुंबक हटाकर करते हैं तो एलुमिनियम के पति में कोई विस्थापन नहीं होता है अतः इस प्रयोग से पता चलता है कि विद्युत धारा पर प्रभाव डालती है

Q. एलुमिनियम का पति सबसे अधिक विस्थापित कब होगा ?
उत्तर- एलुमिनियम का पति सबसे अधिक विस्थापित जब चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धारा के लंबित होगा

Q. फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम को लिखें ?
उत्तर- फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम के अनुसार अपने दाएं हाथ की तीन उंगलियां तर्जनी माध्यम और अंगूठा तीनों को एक दूसरे के अलावा इस प्रकार से फैलाया की तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को मध्यमा विद्युत धारा की दिशा को बतलाता हो तो अंगूठा चालक पर लगे बल की दिशा को बताएगा

Q. चुंबकीय क्षेत्र में धारावाहिक चालक पर बल लगने के कारण क्या होता है ?
उत्तर- जब किसी इलेक्ट्रॉन को चुंबकीय क्षेत्र में जोड़ दिया जाता है तो वह चलते लगता है और चलने के क्रम में इलेक्शन अपने ऊपर एक बल अनुभव करता है इस बल का नाम है लॉरेनज बल

Q. फैराडे का प्रयोग क्या है?
उत्तर- विद्युत धारा पर चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव को प्रदर्शित करने वाले प्रयोग फराडे का प्रयोग कहलाता है इस प्रयोग में दो मुंह वाली चौड़ी कांच की नली ली जाती है जैसे कि नीचे के चित्र में दिखाया गया है
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जब परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित कराई जाती है तो छड़ चुंबक के चारों ओर तांबा का  करता है इस प्रयोग में धारा की दिशा को जब बदल दिया जाता है तो तांबा का अक्षर विपरीत दिशा में घूमने लगता है यह प्रयोग जब-जब छड़ चुंबक के अनुपस्थिति में कराई जाती है तांबा का छड़ घुर्णन नहीं करता है अतः इस प्रयोग से पता चलता है कि विद्युत धारा चुंबकीय क्षेत्र अपना प्रभाव डालती है

Q. विद्युत मोटर क्या है ?
उत्तर- यह कैसी युक्ति है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देती है विद्युत मोटर में एक नाले चुंबक होता है जिसे क्षेत्र चुंबक करते हैं चुंबक के ध्रुव खंडों के बीच लड़ाई लोहे की प्लेट पर तांबे का तार लपेटा हुआ रहता है जिसे आर्मेचर कहते हैं आर्मेचर का अंतिम छोर पीतल के वलय खंडों से जुड़ा होता है जिसे कार्बन का व्रत स्पर्श करता है जैसे कि नीचे के चित्र में दिखाया गया है
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जब आर्मेचर से विद्युत धारा प्रवाहित कराई जाती है तो और नेचर की दो भुजाएं ए बी और सी डी चुंबकीय क्षेत्र से लंबवत होते हैं इस आर्मेचर पर फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम के अनुसार बल लगता है जिसके कारण आर्मेचर घूमता है यह लगातार एक ही दिशा में घूमता है जिसके कारण इसे डीसी मोटर कहा जाता है

Q. विद्युत चुंबकीय प्रेरण क्या है ?
उत्तर- विद्युत और चुंबक में गड़ा संबंध है किस प्रकार से विद्युत के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न किए जाते हैं उसी प्रकार से चुंबकीय क्षेत्र के कारण विद्युत भी उत्पन्न किए जा सकते हैं इसी के संबंध में फैराडे साहेब ने 1831 ईसवी में एक महत्वपूर्ण खोज की जिसमें उन्होंने गतिशील चुंबक का प्रयोग कर विद्युत धारा की उत्पत्ति किराडे साहब ने बताया कि यदि बंद कुंडली के अंदर चुंबक को गतिशील किया जाए तो चुंबकीय क्षेत्र का चुंबकीय प्लस कहा जाता है विद्युत धारा की उत्पत्ति होती है इसके विपरीत दिशा यदि चुंबक को स्थिर रखते हुए कुंडली को गतिशील कराया जाए तब भी विद्युत धारा की उत्पत्ति होती है अर्थ अर्थ परिवर्तित चुंबकीय क्षेत्र के कारण किसी चालक के विद्युत धारा उत्पन्न होने की घटना विद्युत चुंबकीय प्रेरण का लाती है इस घटना को प्रदर्शित करने के लिए फराडे साहब ने एक प्रयोग किया
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जब वह परिनालिका के अंदर या बाहर चुंबक को गतिशील कराते हैं तो विद्युत धारा की उत्पत्ति होती है ठीक इसके विपरीत जब चुंबक को स्थिर रखकर परिनालिका को गतिशील कर आते हैं तब भी विद्युत धारा को क्षति होती है अतः इस प्रयोग से पता चलता है कि कुंडली के सापेक्ष में चुंबकिया चुंबक का सापेक्ष में कुंडली गतिशील रहने पर विद्युत धारा की उत्पत्ति होती है

Q. फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम को लिखें ?
उत्तर-फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम के अनुसार अपने दाहिने हाथ के तीन उंगलियां तर्जनी मध्यमा और अंगूठा को इस प्रकार से लंबा चलाएं की तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा अंगूठा चालक पर लगने बल की दिशा को बताएगा तो मध्यमा विद्युत धारा की दिशा को बदला आएगा

Q. चुंबकीय फ्लक्स क्या है ?
उत्तर- चुंबकीय क्षेत्र के अभिलंब घटक और उनके सता के क्षेत्रफल के गुणनफल को चुंबकीय फ्लक्स कहते हैं चुंबकीय फ्लक्स का एस आई मात्रक वेबर होता है

Q. फैराडे का विद्युत चुंबकीय प्रेरण नियम क्या है ?
उत्तर- जब किसी परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण उस परिपथ से होकर जाने वाली चुंबकीय बल रेखाओं के परिवर्तन की दर तथा परिपथ में फेरे की संख्या के सीधा अनुपाती होता है

Q.लेंज का नियम क्या है ?
उत्तर- जब कभी विद्युत चुंबकीय प्रेरण की किसी परिपथ में धारा उत्पन्न होती है तो उसकी दिशा ऐसी होती है कि वह उस कारण की विरोध करती है जिसके कारण वह उत्पन्न होती है fig.

Q. विद्युत जनित्र क्या है सचित्र वर्णन करें ?
उत्तर- यह एक ऐसी युक्ति होती है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल देती है यह विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है डायनेमो को बचाने के लिए एक शक्तिशाली लाल चुंबक लेते हैं जिसे क्षेत्र चुंबक भी कहते हैं क्षेत्र चुंबक के बीच में एक आयत कार्ड मैडम लोहे का प्लेट होता है जिस पर बहुत सारा तांबे का तार लपेटा होता है जिसके कारण इस कुंडली को अमेज़न भी कहते हैं आर्मेचर का अंतिम छोर पीतल के बल्ले से ढका होता है जिसे कार्बन का स्पर्श करता है जैसे कि नीचे के चित्र में दिखाया गया है
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जब आर्मेचर को घुमाया जाता है तो कुंडली के भीतर लगातार चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन होता है जब कुंडली का एबी भाग ऊपर और सीडी भाग नीचे होता है तो फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम के अनुसार धारा एस ए बी और सी सी डी प्रवाहित होता है पुणे चक्र के बाद जब डीसी भुजा ऊपर और एबी भुजा नीचे होता है तो धारा डीसीबीए की ओर प्रवाहित होता है जो पहले की दिशा के विपरीत है इससे पता चलता है कि प्रत्येक के आदेश चक्र के धारा का मान बदल रहा है अर्थात धारा 0 से महत्तम और महत्तम से 0 हो रही है जब कुंडली चुंबकीय क्षेत्र के समानांतर होती है तो इस स्थिति में धारा का मानसून में होती है लेकिन जब कुंडली चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत होती है तो इस स्थिति में धारा का मान महत्तम होती है धारा के परिवर्ती मान होने के कारण इस धारा को प्रत्यावर्ती धारा कहा जाता है तथा इस प्रकार के जनित्र को विद्युत जनित्र या डायनेमो कहा गया

Q.दिष्ट धारा डायनेमो क्या है?
उत्तर- यह युक्ति है जिससे दिष्ट धारा प्राप्त होती है यह विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करती है दिष्ट धारा डायनेमो का बनावट लगभग प्रत्यावर्ती धारा डायनेमो के जैसा ही होता है फर्क सिर्फ इतना होता है कि इसमें वलय के खंड लगे होते हैं
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इसमें प्रत्येक आधे घुर्णन के बाद धारा का मान बदल ले बढ़िया लगातार एक ही दिशा में प्रवाहित होता है इसलिए इस प्रकार के जनित्र को दिष्ट धारा डायनेमो कहा जाता है

Q. प्रत्यावर्ती धारा तथा दिष्ट धारा में अंतर लिखें ?
उत्तर- प्रत्यावर्ती धारा:- इसमें धारा का मान एवं दिशा समय के साथ बदलने लगता है इस धारा को आसानी से उत्पन्न कर सकते हैं इस धारा को आसानी से बिजी में बदला जा सकता              है यह धारा डीसी के अपेक्षा अधिक घातक होता है यह धारा चालक तार के सतह से प्रभावित होता है
दिष्ट धारा:-  इसमें धारा का मान बदल में में लेकिन दिशा नहीं बदलता है इस धारा को कठिनाई से उत्पन्न करते हैं इस धारा को कठिनाई से एसी में बदला जाता है यह धरा ऐसी             की अपेक्षा कम घातक होता है यह धारा चालक के बीच से प्रवाहित होता है

Q. प्रत्यावर्ती धारा होने से वाले लाभ को लिखें ?
उत्तर-  प्रत्यावर्ती धारा से निम्न लाभ हैं :-
1.ट्रांसफार्मर की सहायता से इसका विद्युत वाहक बल बढ़ाया या घटाया जा सकता है
2.इस क्रिया में विद्युत ऊर्जा का क्षय नग्न होता है इस गुण के कारण इसका उपयोग बड़े-बड़े कारखाने में किया जाता है
3.यह क्रिया आसानी से दिष्ट धारा के साथ नहीं होता है
4.इसका विद्युत वाहक बल बढ़ाकर बहुत दूर तक इसे भेजा जा सकता है
5.इस धारा का विद्युत वाहक बल कम करके की बातों को भी बदला जा सकता है
6.इस धारा में ऊर्जा  के बराबर होता है

Q.प्रत्यावर्ती धारा से होने वाली हानि को लिखें ?
उत्तर- प्रत्यावर्ती धारा से निम्न हानि हैं :-
1.इस धारा में विद्युत लेपन तथा बैटरी का आवेशन नहीं किया जा सकता है की धारा से विद्युत विश्लेषण नहीं किया जा सकता है
2.प्रत्यावर्ती धारा को संचायक सेल से संचित नहीं किया जा सकता है
3.इस धारा से स्पर्श मात्रा में बहुत तेज झटका मारता है
4.इस धारा का उपयोग विद्युत चुंबक में नहीं किया जा सकता है

 

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